Sadhna

 
 

The entire creation is linked together through the divine Sound ( Holy Word). This world is the creation of the ‘Word’.

Wherefrom the word originated, that is where the same word will take us

  
Shree Swami Satyanand Ji Maharaj
  

जीवन का महत्त्व और जीवन की पूर्णता मन की कामनाओं को पूरा करने में नहीं है, यह स्वर्ग को प्राप्त करना भी नहीं है और ना ही भौतिक सुखों को प्राप्त करना है | साधन करने का अर्थ ऐहलौकिक और पारलौकिक सुखों की प्राप्ति एवं तृप्ति में नहीं बल्कि निवृति में है |

जब हम स्वादुत्तम पदार्थ खाते हुए भी उसके स्वाद से ऊपर उठ जाते हैं, जब हम बहुमूल्य वस्तुओं से रहते हुए भी उन वस्तुओं को नकारते हैं और केवल अपने शुभ कर्मों को बढ़ाने की ओर अपनी दृष्टि रखते हैं, वहीं पर जीवन की पूर्णता है |

“स्वादु खाये स्वाद ना जाने, भोगे भोग और सुख ना माने,
दृष्टि रखे कर्म की मांहि, पाप दोष पास ना आये”
– श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज
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